Friday, January 20, 2017

पितृदोष निवारण के लिए चमत्कारी लाल किताब के टोटके

पित्र दोष निवारण के कुछ खास उपाय / टोटके

1. याद रखे घर के सभी बड़े बुजर्ग को हमेशा प्रेम, सम्मान, और पूर्ण अधिकार दिया जाय , घर के महत्वपूर्ण मसलों पर उनसे सलाह मशविरा करते हुए उनकी राय का भी पूर्ण आदर किया जाय ,प्रतिदिन उनका अभिवादन करते हुए उनका आशीर्वाद लेने, उन्हे पूर्ण रूप से प्रसन्न एवं संतुष्ट रखने से भी निश्चित रूप से पित्र दोष में लाभ मिलता है ।

2.अपने ज्ञात अज्ञात पूर्वजो के प्रति ईश्वर उपासना के बाद उनके प्रति कृतज्ञता का भाव रखने उनसे अपनी जाने अनजाने में की गयी भूलों की क्षमा माँगने से भी पित्र प्रसन्न होते है ।

3. सोमवती अमावस्या को दूध की खीर बना, पितरों को अर्पित करने से भी इस दोष में कमी होती है ।

4. सोमवती अमावस्या के दिन यदि कोई व्यक्ति पीपल के पेड़ पर मीठा जल मिष्ठान एवं जनेऊ अर्पित करते हुये “ऊँ नमो भगवते वासुदेवाएं नमः” मंत्र का जाप करते हुए कम से कम सात या 108 परिक्रमा करे तत्पश्चात् अपने अपराधों एवं त्रुटियों के लिये क्षमा मांगे तो पितृ दोष से उत्पन्न समस्त समस्याओं का निवारण हो जाता है।

5.प्रत्येक अमावस्या को गाय को पांच फल भी खिलाने चाहिए।

6. अमावस्या को बबूल के पेड़ पर संध्या के समय भोजन रखने से भी पित्तर प्रसन्न होते है।

7. प्रत्येक अमावस्या को एक ब्राह्मण को भोजन कराने व दक्षिणा वस्त्र भेंट करने से पितृ दोष कम होता है ।

8. पितृ दोष से पीड़ित व्यक्ति को प्रतिदिन शिव लिंग पर जल चढ़ाकर महामृत्यूंजय का जाप करना चाहिए ।

9. माँ काली की नियमित उपासना से भी पितृ दोष में लाभ मिलता है।

10. आप चाहे किसी भी धर्म को मानते हो घर में भोजन बनने पर सर्वप्रथम पित्तरों के नाम की खाने की थाली निकालकर गाय को खिलाने से उस घर पर पित्तरों का सदैव आशीर्वाद रहता है घर के मुखियां को भी चाहिए कि वह भी अपनी थाली से पहला ग्रास पित्तरों को नमन करते हुये कौओं के लिये अलग निकालकर उसे खिला दे।

11. पितरों के निमित घर में दीपक, अगरबत्ती को प्रात:काल पूजा के समय ऊँ पितृय नम: कम से कम 21 बार उच्चारण करें।

12. पशु-पक्षियों को खाना खिलायें।

13. श्री मद भागवत गीता का ग्यारहवां अध्याय का पाठ करें।

14.पित्र पक्ष अथवा अमावस्या के दिन पितरों को ध्यान करके सामर्थ्यनुसार ब्राह्मण पूजन के बाद गरीबों को दान करने से पितर खुश होते हैं। ब्राह्मण के माध्यम से पितृपक्ष में दिये हुऐ दान-पुण्य का फल दिवंगत पितरों की आत्मा की शांति के लिए किया जाता है। ब्रह्मवैवर्त पुराण के अनुसार आज के दिन पिंडदान, तिलांजली और ब्राह्मणों को पूर्ण श्रद्धा से भोजन कराने से जीवन में सभी सांसारिक सुख और भोग प्राप्त होता है।

15. हिन्दु मान्यता के अनुसार मृत्यु के बाद भी स्वर्गलोक की प्राप्ति होती है। इसके लिए प्रसनचित होकर हव्य से देवताओं का, कव्य से पितृगणों का तथा अन्न द्वारा बंधुओं का भंडारा करें। इससे परिवार एवं सगे-सम्बन्धियों, मित्रों को भी विशेष फल की प्राप्ति होती है। इसके फलस्वरूप परिवार में अशान्ति, वंश वृद्घि में रुकावट, आकस्मिक बीमारी, धन से बरकत न होना, सभी भौतिक सुखों के होते हुए भी मन असंतुष्ट रहना आदि परेशानियों से मुक्ति मिल सकती है।

16. शनिवार के दिन पीपल की जड़ में गंगा जल, कला तिल चढाये । पीपल और बरगद के वृ्क्ष की पूजा करने से पितृ दोष की शान्ति होती है ।

17. याद रखिए पूर्वजो के प्रति अपने कर्तव्यों का पालन करने उन्हे पूर्ण रूप से संतुष्ट करने उनको प्रसन्न रखने वाले व्यक्ति पर हमेशा दैवी कृपा बनी रहती है....उसके कार्यों में कोई भी अवरोध नही होता है ..उसकी सर्वत्र जयजयकार होती है ।

18. "ओम् नमो भगवते वासुदेवाय" की एक माला का नित्य जाप करें ।

19. जब भी किसी तीर्थ पर जाएं तो अपने पितरों के लिए तीन बार अंजलि में जल से उनका तर्पण अवश्य ही करें ।

20. पितृपक्ष मे अपने पितरों की याद मे वृक्ष, विशेषकर पीपल लगाकर, उसकी पूर्ण श्रद्धा से सेवा करने से भी पितृदोष समाप्त होता है ।

No comments:

Post a Comment